Question 1:
प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) हाथी के पीछे कौन बैठी?
(ख) साइकिल चलाते समय हाथी कब हाँफने लगे थे?
(ग) साइकिल से कूदकर चींटी ने हाथी दद्दा से क्या कहा?
(घ) चढ़ाई में साइकिल कैसी आवाज कर रही थी?
Answer:
(क) हाथी के पीछे चींटी बैठी थी।
(ख) चढ़ाई आने पर
(ग) मत घबराना दद्दा। मैं /क्का देती हूँ।
(घ) चढ़ाई में साइकिल चरर-मरर-चूँ कर रही थी।
Question 2:
कविता की पंक्तियाँ पूरी कीजिए-
Answer:
चींटी चट कूदी साइकिल से,
बोली- मत घबराना दद्दा,
आप पाँव पैडल पर मारो,
मैं हूँ न, देती हूँ /क्का!
Question 3:
तुकांत शब्द पर गोला लगाइए-
Answer:
Question 4:
आइए, इस कविता पर एक कहानी बनाइए। दिए गए खाली स्थान को भरकर कहानी पूरी कीजिए-
Answer:
हाथी साइकिल चला रहा था, उसके पीछे चींटी बैठी थी। हाथी मजे से पैडल मार रहा था और
चींटी ऐंठी थी। आगे सीध चढ़ाई आई और साइकिल चलाते-चलाते हाथी हाँफने लगा। साइकिल
चरर-मरर-चूँ की आवाज करती हुई रुक गई और उसका चक्का सरकने लगा। हाथी की सहायता
करने के लिए चींटी चट से साइकिल से कूदी और उसने हाथी को कहा कि मैं हँ नू आप बिलकुल
भी मत घबराना। आप बस पैडल पर अपने पाँव मारो, मैं हूँ न, मैं देती हूँ धक्का।
Question 5:
चित्र में छुपी कहानी को अपने शब्दों में लिखिए-
Answer:
खरगोश और कछुआ दोनों मित्र थे। वे एक साथ रहते थे। एक दिन वे नदी के उस पार गाजर खाने
के लिए निकले। रास्ते में लोमड़ी को देखकर खरगोश ने कछुए को अपनी पीठ पर बैठाया और दौड़
लगाई एवं अपनी व कछु ए की लोमड़ी से जान बचाई। नदी के पास पहुँचते ही कछुए ने खरगोश को
अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार की। फिर दोनों ने पेड़ के नीचे मजे से बैठकर गाजर का आनंद लिया।
Question 6:
‘डरो मत’ कहानी को पढ़िए और बताइए कि आपको बालक नरेंद्र की बातों से क्या शिक्षा मिली?
Answer:
यदि आपसे कोई कुछ कहता है, तो उस पर यकीन मत करो। खुद सोचो और अपने विवेक का उपयोग करो और मत डरो।