Question 1:
प्रियतमा के दु:ख के क्या कारण हैं?
अथवा
नायिका की विरह वेदना।
Answer:
नायक प्रियतमा को छोड़कर परदेस चला जाता है। प्रियतमा उसके विरह में व्यथित होती रहती है। वर्षा ऋतु का श्रावण मास आ जाता है तो उसकी कामनाएँ बढ़ जाती हैं। प्रियतम के वियोग में वह और भी अधिक विरहाग्नि में जलने लगती है। वह अपनी इस विरहावस्था से अपने प्रियतम को पत्र द्वारा संदेश भेजकर परिचित कराना चाहती है, परंतु उसे ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिलता जो उसका पत्र उसके प्रियतम तक ले जा सके। इसी कारण वह दु:खी रहती है।
Question 2:
कवि 'नयन न तिरपित भेल' के माध्यम से विरहिणी नायिका की किस मनोदशा को व्यक्त करना चाहता है?
Answer:
इस कथन के माध्यम से कवि यह बताना चाहता है कि नायिका नायक से इतना अधिक प्रेम करती है कि वह उसे निरंतर अपने पास देखती है परंतु फिर भी तृप्त नहीं होती। वह बार-बार और जन्म-जन्मांतर तक अपने प्रियतम की छवि को अपने नेत्रों से देखते रहना चाहती है। वह जब भी अपने प्रियतम को देखती है, उसे वह नित्य नवीन दिखाई देता है। उसकी शोभा को वह निरंतर देखते रहना चाहती है।
Question 3:
नायिका के प्राण तृप्त न हो पाने का कारण अपने शब्दों में लिखिए।
Answer:
नायिका कहती है कि प्रेम का अनुभव अनिर्वचनीय होता है। वह आजीवन प्रियतम को देखती रही है, फिर भी उसके नेत्र तृप्त नहीं हुए हैं। वह प्रियतम के स्वरों को सुनकर भी तृप्त नहीं होती। उसने अनेक मिलन-रात्रियाँ प्रियतम के साथ व्यतीत की हैं, फिर भी प्रेम-क्रीड़ा को नहीं समझ पाई। उसका प्रियतम उसके हृदय में है, फिर भी अतृप्ति बढ़ती ही जाती है। प्रेम-रस का पान करके वह विदग्ध तो हो गई है परंतु अभी भी उसकी अतृप्ति बनी हुई है। प्रेमानुभूति प्रतिक्षण रूप परिवर्तित करने वाली होती है इसलिए प्रेम का भरपूर पान करके भी नायिका के प्राण अतृप्त हैं।
Question 4:
'सेह पिरित अनुराग बखानिअ तिल-तिल नूतन होए' से कवि का क्या आशय है?
Answer:
इस कथन के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि प्रेमानुभूति का वर्णन करना बहुत कठिन होता है, क्योंकि प्रेम प्रतिक्षण अपना रूप बदलता रहता है। प्रेम का प्रत्येक पल एक नया अनुभव प्रदान करता है जो पिछले क्षण में प्राप्त प्रेम के अनुभव से बिलकुल अलग तरह का होता है। इसी कारण जब भी प्रेम के अनुभव के विषय में कुछ कहने लगते हैं तो समझ नहीं आता कि क्या कहा जाए क्योंकि जो प्रेम का अनुभव अभी हुआ है, वह पहले के अनुभव से अलग था। इसी प्रकार से उससे पहले अथवा इस अनुभव के बाद जो प्रेम की अनुभूति होगी, वह एक नई प्रकार की होगी। अत: प्रेमानुभूति का वर्णन करना संभव नहीं है।
Question 5:
कोयल और भौंरों के कलरव का नायिका पर क्या प्रभाव पड़ता है?
Answer:
नायिका नायक के वियोग में अत्यंत दु:खी है और दिन-प्रतिदिन दुर्बल होती जा रही है। विरहावस्था में उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता। उसे प्रकृति के मादक तथा उन्मादित करने वाले उपकरण भी कष्टदायक प्रतीत होते हैं। इसलिए जब कोयल कूकती है और भँवरे मँडराते हैं तो उनकी आवाज़ सुनते ही वह अपने कान बंद कर लेती है जिससे उनका मधुर स्वर उसे सुनाई ही न दे। इनका कलरव उसके विरह को और भी अधिक तीव्र कर देता है।
Question 6:
कातर दृष्टि से चारों तरफ़ प्रियतम को ढूँढ़ने की मनोदशा को कवि ने किन शब्दों में व्यक्त किया है?
Answer:
नायिका का कातर दृष्टि से चारों तरफ़ प्रियतम को ढूँढ़ने का वर्णन कवि ने निम्नलिखित शब्दों में किया है—
'कातर दिठि करि चौदसि हेरि-हेरि,
नयन गरए जलधारा।'
Question 7:
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए—
तिरपित, छन, बिदगध, निहारल, पिरितसाओन, अपजस, छिन, तोहारा, कातिक।
Answer:
तृप्त, क्षण, विदग्ध, निहार, प्रीति, श्रावण, अपयश, क्षीण, त्वम्, कार्तिक।