NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 24 - आरोहण

Question 1:

यूँ तो प्राय: लोग घर छोड़कर कहीं-न-कहीं जाते हैं, परदेश जाते हैं किंतु घर लौटते समय रूप सिंह को एक अजीब किस्म की लाज, अपनत्व और झिझक क्यों घेरने लगी ?

Answer:

रूप सिंह मूलत: माही गाँव का रहनेवाला था। वह पहाड़ी जीवन से भली-भाँति परिचित था। आज से ग्यारह साल पहले अपने माही गाँव को छोड़कर भाग गया था। बड़े भाई भूप सिंह ने उसे बहुत ढूँढ़ा परंतु वह कहीं नहीं मिला। आजकल रूप सिंह पर्वतारोहण संस्थान में चार हज़ार प्रतिमास की नौकरी करता है। वह ग्यारह वर्ष के बाद अपने गाँव वापस लौट रहा है। जब वह बस से देवकुंड स्टॉप पर उतरा तो सबसे पहले उसकी नज़र अपने गाँव की ओर उठी। उसका गाँव यहाँ से पंद्रह किलोमीटर दूर था। उसे घर लौटते समय इसलिए अजीब-सी लज्जा, अपनत्व और झिझक हो रही थी क्योंकि इन ग्यारह वर्षों में अब घर या गाँववालों के साथ किसी प्रकार पत्र-व्यवहार नहीं किया था। उसे यह भी डर था कि कहीं कोई उससे यह न पूछ ले कि वह इतने वर्ष कहाँ रहा और अब ग्यारह वर्ष बाद इस गाँव में फिर क्यों लौट रहा है?

Question 2:

पत्थर की जाति से लेखक का क्या आशय है ? उसके विभिन्न प्रकारों के बारे में लिखिए।

Answer:

पत्थर की जाति से लेखक का आशय है कि अमुक पत्थर किस प्रकार की चट्टान मिट्टी या लावा से बना है। इस पत्थर के किस प्रकार के कण हैं तथा यह पत्थर किस प्रकार की चट्टान के टूटने से बना है। यानी पत्थर की जाति से अर्थ हैं—पत्थर की प्रकार से। पत्थर के अनेक प्रकार होते हैं, जैसे—(i) इग्नियस (ii) ग्रेनाइट (iii) मेटामॉरफ़िक (iv) सैंडस्टोन (v) सिलिका।

Question 3:

महीप अपने विषय में बात पूछे जाने पर उसे टाल क्यों देता था ?

Answer:

महीप अपने विषय में बात पूछे जाने पर उसे इसलिए टाल देता था क्योंकि जिस रास्ते पर वह घोड़ों पर बैठाकर शेखर और रूप सिंह को लिए जा रहा था वह रास्ता बहुत ही सँकरा, पहाड़ी एवं खतरनाक था। जब शेखर महीप से उसके परिवार के बारे में पूछता है तो महीप सवालों पर विराम लगाते हुए कहता है, ''साब ! बात मत करो, रास्ता भौत ई खराब है।'' रास्ते में ऊपर से पत्थर गिरे हुए थे। वह आगे-आगे घोड़ों को पुचकारते, निर्देश देते चल रहा था, जो उसके लिए इस समय शेखर और रूप सिंह द्वारा पूछे जानेवाले फालतू सवालों से अधिक महत्त्वपूर्ण लग रहा था। इसके अतिरिक्त वह रूप सिंह के बड़े भाई भूप सिंह का बेटा था। वह अपनी माता की मृत्यु का ज़िम्मेदार अपने पिता को मानता था। इसलिए जब उसे पता चला कि ये उसके पिता के भाई हैं तो उन्हें अपने विषय में कुछ बताने की बजाए टाल देता है।

Question 4:

बूढ़े तिरलोक सिंह को पहाड़ पर चढ़ना जैसी नौकरी की बात सुनकर अजीब क्यों लगा ?

Answer:

बूढ़े तिरलोक सिंह को रूपसिंह की पहाड़ चढ़ने जैसी नौकरी की बात सुनकर इसलिए अजीब लगा क्योंकि पर्वतीय प्रदेशों में पहाड़ पर चढ़ना एक दिनचर्या है। पहाड़ी लोग प्रतिदिन न जाने कितनी बार पहाड़ चढ़ते हैं और कितनी बार पहाड़ से नीचे उतरते हैं। जब रूप सिंह ने यह कहा कि, ''वह पर्वतारोहण संस्थान पहाड़ पर चढ़ने की नौकरी के चार हज़ार प्रति मास तनख्वाह देती है तो त्रिलोक सिंह सबको सुनाकर कहता है, ''लेकिन फिर बोलूँ छै कि सरकार याको सिर्फ़ म्याल पर चढ़न कूँ वास्ते चार हज़ार तणखा देवे छूँ। यक क्या बात हुई? कैसी अहमक है यक सरकार की।'' तिरलोक के लिए पहाड़ चढ़ने की नौकरी के लिए चार हज़ार खर्च करना मूर्खता है क्योंकि उसका मानना है कि पहाड़ पर चढ़ना पहाड़ियों की रोज़मर्रा की ज़िदगी का एक अंग है।

Question 5:

रूप सिंह पहाड़ पर चढ़ना सिखाने के बावजूद भूप सिंह के सामने बौना क्यों पड़ गया था ?

Answer:

जब ग्यारह वर्षों बाद रूप सिंह की मुलाकात अपने बड़े भाई भूप सिंह से हुई तो वह बहुत कुछ बोले। वह उन्हें ऊपर पहाड़ पर स्थित अपने गाँव चलने के लिए कहता है। जब रूप सिंह और शेखर ने सीधी खड़ी चढ़ाई पर चढ़ना शुरू किया तो वे पत्थरों को पकड़-पकड़कर चढ़ रहे थे फिर हाँफकर रुक गए। उधर से भूप सिंह ने कहा, ''क्या हुआ? आगे नहीं चढ़ पा रहा है? .....बस इतना भर पहाड़ीपन बचा रै गया ई? है ना!'' वे नीचे उतर आए और अपने मफ़लर को मज़बूती से कमर में बाँधकर रूप सिंह को ऊपर ले गया। चूँकि रूप सिंह को आधुनिक उपकरणों के साथ ऊपर चढ़ने का अनुभव था और आज उसे बिना उपकरणों के ही ऊपर चढ़ना पड़ रहा था। उधर भूप सिंह पूरे धैर्य, आत्मविश्वास, ताकत और कुशलतापूर्वक साथ में रूपसिंह को खींचे ऊपर चढ़े जा रहे थे। उन्हें ऊपर पहुँचने में एक घंटे का समय लगा होगा। वह वहीं रूप सिंह को छोड़कर शेखर को लेने नीचे उतर गया। इस प्रकार आज रूप सिंह पहाड़ पर चढ़ने की ट्रेनिंग लेने के बाद भी पहाड़ी भूप सिंह के सामने बौना पड़ रहा था।

Question 6:

शैला और भूप ने मिलकर किस तरह पहाड़ पर अपनी मेहनत से नई ज़िदगी की कहानी लिखी ?

Answer:

जब रूप सिंह के गाँव में भू-स्खलन हुआ था तो उसके गाँव के अनेक लोग दबकर मर गर थे। भूप सिंह रूप सिंह और शेखर को बताता है कि इस भू-स्खलन में माँ, बाबा, खेती सभी कुछ दबकर खत्म हो गया था। मैं यहाँ अकेला लाचार था, बेबस था। इस तबाही ने मेरा सब कुछ खत्म कर दिया था। इस पहाड़ ने मेरा सब कुछ निगल लिया था। मैं धीरे-धीरे यहाँ से मलबा हटाता गया। थोड़ी बहुत खेती शुरू कर दी थी। जब अकेला काम करते-करते थक जाता था तो नीचे से एक औरत ले आया। इस औरत का नाम 'शैला' था। यह वही शैला थी जिसने कभी रूप सिंह से प्रेम किया था परंतु अब वह भूप सिंह की पत्नी बनकर उसके कंधे-से-कंधा मिलाकर काम कर रही थी। भूप सिंह एक बार फिर बताता है—''शैला के आने से खेती फैल गई। एक दिन पाणी की खोज में हम हिमांग पर्वत के उपर चढ़ गए वहाँ हमने देखा कि एक झरना यूँ ही उस तरफ़ सूफिन में गिर रहा था इसे मोड़ लेने से पानी की समस्या हल हो सकती थी।'' परंतु पहाड़ बीच में से ऊँचा था। फिर उन दोनों ने पहाड़ को काटा। जब बरफ़ कुछ पिघलने लगी तो उन्होंने पहाड़ को थोड़ा-थोड़ा काटना शुरू किया वे दोनों खूब मेहनत करके झरने को मोड़कर अपने खेतों में लाने में सफल रहे। इस प्रकार शैला और भूप सिंह ने मिलकर पहाड़ पर अपनी मेहनत और लगन से नई ज़िदगी की कहानी लिखी।

Question 7:

सैलानी (शेखर और रूप सिंह) घोड़े पर चलते हुए उस लड़के के रोज़गार के बारे में सोच रहे थे जिसने उनको घोड़े पर सवार कर रखा था और स्वयं पैदल चल रहा था। क्या आप भी बाल मज़दूरों के बारे में सोचते हैं ?

Answer:

बाल मज़दूरी भारतवर्ष की एक बड़ी समस्या है। महानगरीय जीवन के साथ-साथ ग्रामीण परिवेश में भी लाखों की संख्या में बच्चे मज़दूरी करके अपना पेट भरते हैं। जहाँ सरकार का यह मकसद और प्रयास होना चाहिए कि देश में बाल मज़दूरी खत्म की जाए परंतु महीप जैसे लाखों करोड़ों बच्चे मज़दूरी करने के लिए मज़बूर हैं। रूप सिंह और शेखर कपूर को माही गाँव जाना है। यह गाँव यहाँ से पंद्रह किलोमीटर पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। महीप के पास दो घोड़े हैं। वह दोनों का सौ रुपए किराया लेकर पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर जाता है। यह कार्य उसका प्रतिदिन का है। जिस उम्र में महीप यह कार्य करता है यह उसके पढ़ने-लिखने और मौज़-मस्ती के दिन हैं परंतु वह मज़दूरी करके अपना पेट पालता है। यह घटना केवल माही गाँव की नहीं है बल्कि देश के प्रत्येक कोने में महीप जैसे लाखों बच्चे मज़दूरी करते देखे जा सकते हैं। पर्यटन स्थल पर भी इनकी संख्या और भी अधिक होती है इसलिए भारत सरकार को इन बाल मज़दूरों के बारे में नीति बनानी चाहिए जिससे इनके बचपन को बचाया जा सके और ये बच्चे बड़े होकर देश के सच्चे नागरिक बन सकें।

Question 8:

पहाड़ों की चढ़ाई में भूप दादा का कोई जवाब नहीं। उनके चरित्र-चित्रण की विशेषताएँ बताइए।

अथवा

भूप सिंह ऐसा पर्वत-पुत्र है जो पग-पग आपदाओं से टक्कर लेता है पर हार नहीं मानता। उक्त कथन के आलोक में भूपसिंह के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।

Answer:

भूप सिंह एक पहाड़ी क्षेत्र में रहनेवाला एक दृढ़ निश्चयी और परिश्रमी व्यक्ति है। उसका छोटा भाई रूप सिंह ग्यारह वर्ष पूर्व घर से भाग जाता है। पिछले वर्षों यहाँ भू-स्खलन की बड़ी घटना में उसके माता-पिता पत्नी और खेत सभी कुछ तबाह हो गए थे। उसकी माँ और पिता दोनों मिट्टी में दबकर मर गए थे। उसने अपनी मेहनत से एक बार फिर खेती शुरू की। खेतों से मलबे को हटाया जब उसके खेतों में पानी की समस्या आ गई तो वह अपनी पत्नी शैला के साथ ऊपर दूसरी दिशा में बहते झरने का मुँह अपने खेतों की ओर मोड़ देता है। ग्यारह वर्ष पूर्व उसका घर नीचे पर्वत की तलहटी में था परंतु अब उसने अपना घर ऊपर पहाड़ पर बनाया था। पहाड़ चढ़ना उसकी दिनचर्या का अंग था। जब शेखर और रूप सिंह पहाड़ पर चढ़ते समय थक जाते हैं तो वह उन दोनों को भी पहाड़ पर चढ़ा देता है। इस प्रकार भूपदादा पहाड़ पर चढ़ने में अत्यंत कुशल व्यक्ति हैं। न केवल पहाड़ पर चढ़ते हैं परंतु अपनी ज़िदगी रूपी पहाड़ पर उसे अनेक बार चढ़ना पड़ता है। अपनी खेती को नए सिरे से शुरू करना पड़ता है। इस प्रकार भूपदादा एक कर्मठ, मेहनती, परिश्रमी, लगनशील, भावुक, संवेदनशील और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति हैं।

Question 9:

इस कहानी को पढ़कर आपके मन मे पहाड़ों पर स्त्री की स्थिति की क्या छवि बनती है? उसपर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

Answer:

पहाड़ों पर स्त्री की स्थिति दयनीय है जिनका अस्तित्व उनके परिश्रम पर टिका हुआ है। गोरी चिट्टी अति सुंदर रंग-रूप की स्वामिनियाँ जब मधुर स्वर में गाती हैं तो उनका स्वर घाटियों में दूर-दूर गूँज उठता है। झरने की तरह कल-कल करता उनका मीठा स्वर आत्मा में भी एक नई जान-सी भर देता है। उनका जीवन परिश्रम से सीधा जुड़ा है। जब पहाड़ टूटकर गिर गया था, वह धँस गया था तब भूप पहाड़ के कहीं नीचे से शैला को अपने साथ अपने घर ले आया था क्योंकि वह बिलकुल अकेला हो गया था। शैला को कभी रूप प्रेम करता था। उसके प्रति अभी भी उसके हृदय में प्रेम भाव छिपा था। स्त्री के प्रति पहाड़ पर पुरुषों के हृदय में एकात्म प्रेम भाव नहीं है। जब शैला गर्भवती थी और उसे कार्य करने में कठिनाई होती थी तो भूप किसी दूसरी स्त्री को पत्नी बनाकर घर ले आया था और शायद सौत की पीड़ा से बचने के लिए ही शैला ने पहाड़ से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। पहाड़ पर स्त्री का जीवन अति कठिन है। जीवनभर उसे अति कठोर परिश्रम करना पड़ता है पर वह सम्मान प्राप्त नहीं कर पाती।