NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 17 - दूसरा देवदास

Question 1:

'गंगापुत्र के लिए गंगा मैया ही जीविका और जीवन है'—इस कथन के आधार पर गंगा-पुत्रों के जीवन-परिेवेश की चर्चा कीजिए।

Answer:

गंगापुत्र गंगा मैया के आँचल में पले-बढ़े हैं। यहीं उन्होंने चलना, दौड़ना, तैरना सीखा है। इसी माँ के आँचल में ही उनका बचपन व्यतीत हुआ है। गंगा का जल ही उनका बसेरा है। संध्या की आरती के समय भक्तगण अपनी मन्नतों के लिए जो दोने गंगा में बहा देते हैं, गंगा-पुत्र इन्हीं दोनों में से पैसे चुनकर आगे बहा देता है। वह प्रत्येक डोने को ध्यानपूर्वक जाँचता-परखता है। दोने के पानी में जाते हुए झट से उसमें से पैसे निकाल लेता है। वे मुँह भरकर रोज़गारी इकट्ठी करते हैं। इन गंगा-पुत्रों की बीबी और बहनें कुशाघाट पर रेज़गारी बेचकर नोट कमाती हैं। बस इसी से इनका जीवन चलता है। इस प्रकार गंगा-पुत्र के लिए गंगा-मैया ही जीविका और जीवन है।

Question 2:

पुजारी ने लड़की के 'हम' को युगल अर्थ में लेकर क्या आशीर्वाद दिया और पुजारी द्वारा आशीर्वाद देने के बाद लड़के और लड़की के व्यवहार में अटपटापन क्यों आया

Answer:

पुजारी ने लड़की के 'हम' को युगल के अर्थ में सुखी रहने, फूलने-फलने, जब भी आना साथ ही आना, गंगा मैया मनोरथ पूरी करें का आशीर्वाद दिया। पुजारी द्वारा आशीर्वाद देने के बाद लड़के और लड़की के व्यवहार में अटपटापन इसलिए आ गया, क्योंकि पुजारी ने उन्हें पति-पत्नी समझकर ऐसा आशीर्वाद दे दिया था।

Question 3:

उस छोटी-सी मुलाकात ने संभव के मन में क्या हलचल उत्पन्न कर दी, इसका सूक्ष्म विवेचन कीजिए।

Answer:

लड़की से छोटी-सी मुलाकात के बाद संभव का मन बेचैन हो गया। उसकी भूख-प्यास भी न जाने कहाँ गायब हो गई। नींद और स्वप्न के बीच उसकी आँखों में घाट की पूरी बात दौड़ रही थी। वह अभी भी लड़की का आँख मूँदकर अर्चना करना, माथे पर भीगे बालों की लट, कुरते को छूता उसका गुलाबी आँचल, और 'पुजारी कल हम आएँगे' कहना आदि बातों में खो रहा था। रात को सोते हुए उसकी आँख खुली तो नानी से भोजन लेकर वह बीच में ही छोड़ चला गया। सारी रात संभव की आँखों में शाम मँडराती रही। वह सारी रात उसी लड़की की बातों से खोया रहा। बिल्कुल भी सो नहीं पाया।

Question 4:

मंसा देवी जाने के लिए केबिल-कार में बैठे हुए संभव के मन में जो कल्पनाएँ उठ रही थीं, उनका वर्णन कीजिए।

Answer:

संभव मंसा देवी जाने के लिए गुलाबी केबिल-कार में बैठा। अब उसे गुलाबी रंग ही अच्छा लग रहा था। सबके हाथ में चढ़ावा देखकर वह दुखी था कि वह चढ़ावे की थाल खरीदकर नहीं लाया। नीचे पंक्तियों में सुंदर-सुंदर फूल खिले हुए थे। उसे ऐसा लग रहा था कि रंग-बिरंगी वादियों से कोई हिंडोला उड़ा जा रहा हो। चारों ओर का विहंगम दृश्य मन में गूँज रहा हो। न उसे मोटे-मोटे फौलाद के खंभे नज़र आए और न भारी केबिल वाली रोपवे। पूरा हरिद्वार सामने खुला था। जगह-जगह मंदिरों के बुर्ज, गंगा मैया की धवल धार और सड़कों के खूबसूरत घुमाव दिख रहे थे।

Question 5:

''पारो बुआ, पारो बुआ इनका नाम है... उसे भी मनोकामना का पीला-लाल धागा और उसमें पड़ी गिठान का मधुर स्मरण हो आया।'' कथन के आधार पर कहानी के संकेतपूर्ण आशय पर टिप्पणी लिखिए।

अथवा

''उसे भी मनोकामना का पीला-लाल धागा और उसमें पड़ी गिठान का मधुर स्मरण हो आया।''—उपयुक्त कथन पर टिप्पणी कीजिए।

Answer:

इस कथन के माध्यम से लेखिका ने नायिका पारो तथा नायक देवदास के मिलन की ओर संकेत किया है। पारो को मिलते ही देवदास के मन में जैसे प्रथम मिलन की घड़ियाँ गूँजने लगती हैं उसी प्रकार प्रस्तुत कहानी के संभव के मन में भी बच्चे की बुआ पारो से मिलन पर याद हो आती है। वह उसी की स्मृति में डूब जाता है।

Question 6:
'मनोकामना की गाँठ भी अद्भुत,
अनूठी है, इधर बाँधो उधर लग जाती है।'

कथन के आधार पर पारो की मनोदशा का वर्णन कीजिए

Answer:

पारो का मन भी संभव को देखकर झूम उठा था। वह बहुत प्रसन्न थी। उसके मन में अनेक प्रश्न पैदा हो रहे थे। वह भी संभव को देखकर अनेक कल्पनाएँ करने लगी थीं।

Question 7:

निम्नलिखित वाक्यों का आशय स्पष्ट कीजिए—

(क) 'तुझे तो तैरना भी न आवे। कहीं पैर फिसल जाता तो मैं तेरी माँ को कौन मुँह दिखाती।'

(ख) 'उसके चेहरे पर इतना विभोर विनीत भाव था मानो उसने अपना सारा अहम् त्याग दिया है, उसके अंदर स्व से जनित कोई कुंठा शेष नहीं है, वह शुद्ध रूप से चेतनस्वरूप, आत्माराम और निर्मलानंद है।'

(ग) 'एकदम अंदर के प्रकोष्ठ में चामुंडा रूप धारिणी मंसादेवी स्थापित थी। व्यापार यहाँ भी था।'

Answer:

(क) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि संभव की नानी उसको समझाते हुए कहती है कि बेटा! तुझे तो तैरना भी नहीं आता। तेरा कहीं पर अधिक पानी में पैर फिसल जाता तो मैं तेरी माँ को क्या मुँह दिखाती अर्थात् कोई अशुभ होने पर मैं तेरी माँ को कैसे समझाती।

(ख) उपर्युक्त गद्यांश से आशय है कि हर की पौड़ी की भीड़ से दूर कोई व्यक्ति सूर्य की ओर हाथ जोड़े खड़ा था। उसके चेहरे पर विभोर और विनय भाव था मानो उसने अपना सारा अहंकार त्याग दिया है। उसके हृदय में अहम् से पैदा हुई कुँठा का भाव शेष नहीं था। वह बिल्कुल शुद्ध रूप से चेतन स्वरूप आत्माराम और निर्मल आनंद से युक्त लग रहा था।

(ग) इस पंक्ति से आशय है कि मंसा देवी के मंदिर में एकदम अंदर के कमरे में चामुंडा का रूप धारण करने वाली मंसा देवी स्थापित थी। लेखिका कहती है कि व्यापार यहाँ भी था। यहाँ भी वस्तुएँ बिक रही थीं।

Question 8:

दूसरा देवदास कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

Answer:

दूसरा देवदास कहानी ममता कालिया द्वारा रचित है जिसमें लेखिका ने युवा हृदय में पहली बार उपजी मुलाकात की हलचल और कल्पना का चित्रण किया है। कहानी में नायक देवदास तथा नायिका पारो अचानक हर की पौड़ी पर संध्या आरती के समय अनजान अवस्था में मिलते हैं। प्रथम मुलाकात के बाद नायक उसे मन से नहीं भुला पाया। नानी के घर जाकर भी वह उसी के ख्यालों में खोया रहा। सारी रात उसी मुलाकात के बारे में सोचता रहा। उसे भूख भी नहीं लगी। वह यही सोचता रहा कि कल भीड़ में वह उस लड़की को पहचान लेगा। वह 'देवदास' कहानी के देवदास की तरह अंत तक अपनी पारो के लिए बेचैन रहा। एक बच्चे के माध्यम से संभव मंसा देवी के मंदिर से लौटते हुए अपनी पारो से मिला। पारो से मिलकर उसे ऐसा लगा जैसे उसकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण हो गई हों। उसका रोम-रोम खिल उठा। पारो भी अपनी मन्नतों को अद्भुत रूप से पूर्ण हुआ सोच रही थी। संभवत: दूसरा देवदास शीर्षक सार्थक है।

Question 9:

'हे ईश्वर! उसने कब सोचा था कि मनोकामना का मौन उद्गार इतनी शीघ्र शुभ परिणाम दिखाएगा।' आशय स्पष्ट कीजिए।

Answer:

प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि पारो से अचानक मिलन होने पर संभव उससे अनेक बातें कहना चाहता था लेकिन कह नहीं पाया। अचानक पुन: उसे वही कंठ वही स्वर सुनी और अंदाज़ दिखाई दिया जिससे उसका रोम-रोम खिल उठा। उसी खुशी के लिए वह प्रभु का धन्यवाद करते हुए कहता है कि हे प्रभु! उसने कभी नहीं सोचा था कि मेरी मनोकामना का मौन भाव इतनी जल्दी अच्छा परिणाम दिखाएगा। अर्थात उससे इतनी जल्दी दोबारा मुलाकात हो जाएगी।