लोमड़ी स्वेच्छा से शेर के मुँह में क्यों चली जा रही थी ?
लोमड़ी स्वेच्छा से शेर के मुँह में इसलिए चली जा रही थी, क्योंकि वह सोचती थी कि शेर के मुँह के अंदर रोज़गार कार्यालय है। वह वहाँ दरख्वास्त देगी तथा फिर उसे नौकरी मिल जाएगी।
कहानी में लेखक ने शेर को किस बात का प्रतीक बताया है ?
कहानी में लेखक ने शेर को व्यवस्था का प्रतीक बताया है। ऐसी व्यवस्था, जिसके पेट में जंगल के सभी जानवर किसी-न-किसी लालच से समाते चले जा रहे हैं। ऊपर से देखने पर शेर अहिंसावादी, न्यायप्रिय तथा बुद्ध का अवतार प्रतीत होता है लेकिन जैसे ही लेखक उसके मुँह में प्रवेश न करने का संकल्प करता है तो शेर की वास्तविकता अपने-आप प्रकट हो जाती है। वह दहाड़ता हुआ उसकी ओर झपटता है। तात्पर्य यह है कि सत्ता तब तक खामोश रहती है जब तक उसकी आज्ञा का पालन करते रहे। आज्ञा न मानने पर वह खूँखार रूप धारण कर लेती है।
शेर के मुँह और रोज़गार के दफ़्तर के बीच क्या अंतर है?
शेर के मुँह और रोज़गार के दफ़्तर के बीच निम्नलिखित अंतर हैं—
(i) शेर का मुँह भयानकता का प्रतीक है जबकि रोज़गार दफ़्तर नौकरी या रोज़गार देने का स्थान है।
(ii) शेर के मुँह में लोग जाते हुए डरते हैं जबकि रोज़गार कार्यालय में हँसते हुए जाते हैं।
(iii) शेर के मुँह को देखकर मौत आँखों में नृत्य करने लगती है, जबकि रोज़गार कार्यालय को देखकर रोज़गार आँखों में आने लगता है।
(iv) शेर के मुँह में मरने के लिए जाते हैं जबकि रोज़गार कार्यालय में नौकरी के लिए।
(v) शेर के मुँह में लंबे-लंबे नुकीले दाँत होते हैं जबकि रोज़गार कार्यालय में अनेक अच्छे-बुरे आदमी होते हैं।
'प्रमाण से अधिक महत्वपूर्ण है विश्वास'—कहानी के आधार पर टिप्पणी कीजिए।
प्रस्तुत पंक्ति से अभिप्राय यह है कि जहाँ विश्वास होता है, वहाँ प्रमाण का कोई महत्व नहीं रहता है। विश्वास के सामने प्रमाण अपनी अर्थवत्ता खो देता है। जैसे शेर लघुकथा में जंगल के जानवर शेर के मुँह पर विश्वास करके उस ओर खींचे चले जा रहे हैं। उनको यह विश्वास है कि वहाँ जाकर उनकी कामना अवश्य पूर्ण हो जाएगी, इसीलिए वे लेखक के मना करने पर नहीं मानते। शेर साहब के दफ्तर के कर्मचारी पर इसी बात पर विश्वास करते हैं। इसके लिए उन्हें कोई भी प्रमाण की आवश्यकता नहीं। इसीलिए लेखक के द्वारा रोज़गार दफ्तर का प्रमाण माँगने पर वे कह देते हैं कि प्रमाण से अधिक महत्वपूर्ण विश्वास होता है।
राजा ने जनता को हुक्म क्यों दिया कि सब लोग अपनी आँखें बंद कर लें ?
सब लोग अपनी आँखें बंदकर लें राजा ने जनता को यह हुक्म इसलिए दिया ताकि राजा की बुराई कोई देख न सके और उन्हें शांति मिलती रहे।
आँखें बंद रखने और खोलकर देखने के क्या परिणाम निकले ?
आँखें बंद रखने से पहले की तुलना में राज्य में बहुत अधिक और अच्छा काम हुआ और आँखें देखने से यह परिणाम निकला कि उन्होंने राजा अपने सामने दिखाई दिया।
राजा ने कौन-कौन से हुक्म निकाले ? सूची बनाइए और इनके निहितार्थ लिखिए।
राजा ने निम्नलिखित हुक्म निकाले।
(i) उसके राज्य में सब लोग अपनी आँखें बंद रखेंगे ताकि उन्हें शांति मिलती रहे। इसका तात्पर्य यह है कि राजा के हुक्म के अनुसार उसके राज में जो लोग अपनी आँखें बंद नहीं करेगा अर्थात् जो कार्य को होते हुए देखेगा, वह शांति से नहीं रह सकेगा। इस शांति से जीने वाला मनुष्य अपनी आँखें बंद कर ले। राज में जो भी कुछ हो रहा है उसको अनदेखा करें।
(ii) लोग अपने-अपने कानों में पिघला हुआ सीसा डलवा लें क्योंकि सुनना जीवित रहने के लिए बिलकुल ज़रूरी नहीं—इस हुक्म के मुताबिक जो व्यक्ति राज में किसी की बात सुनेगा, उसे जीवित नहीं छोड़ा जाएगा। अत: जो व्यक्ति जीवित रहना चाहते हैं अपने कान बंद रखें।
(iii) लोग अपने होंठ सिलवा लें क्योंकि बोलना उत्पादन में सदा से बाधक रहा है। इसका तात्पर्य है कि लोग कार्य करते समय किसी दूसरे से कोई बात नहीं करेंगे; केवल अपना कार्य करेंगे।
जनता राजा की स्थिति की ओर से आँखें बंद कर लें तो इसका राज्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा? स्पष्ट कीजिए।
जनता राजा की स्थिति की ओर से आँखें बंद कर लें तो इसका राज्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। राजा की निरंकुशता से राज्य में हाहाकार मच जाएगा। राज्य में अव्यवस्था फैल जाएगी। राज्य की उन्नति रुक जाएगी। दुराचारी राजा के होने पर राज्य में अनेक बुराइयाँ फैल जाएँगी।
खैराती, रामू और छिद्दू ने जब आँखें खोलीं तो उन्हें सामने राजा ही क्यों दिखाई दिया ?
खैराती, रामू और छिद्दू ने जब आँखें खोलीं तो उन्हें सामने राजा ही क्यों दिखाई दिया ? उत्तर खैराती, रामू और छिद्दू ने आँखें खोलीं तो राजा ही इसलिए दिखाई दिया क्योंकि राजा के सख्त आदेश के कारण उन्हें आँखें बंद किए बहुत अवधि हो चुकी थी। आँखें बंद करते हुए उन्हें राजा की तस्वीर को देखा था और उसी कारण आज तक उनकी आँखों में राजा की तस्वीर घूम रही थी।
मज़दूरों को चार हाथ देने के लिए मिल मालिक ने क्या किया और उसका क्या परिणाम निकला ?
मज़दूरों को चार हाथ देने के लिए मिल मालिक ने बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को अच्छी कीमत देकर नौकरी पर रख लिया। कई साल तक प्रयोग और शोध के बाद वैज्ञानिकों ने इस कार्य को असंभव बता दिया। इसके बाद वह अपने-आप ही इस कार्य में लग गया। उसने कटे हुए हाथ मँगवाए और मज़दूरों को फिट करवाने लगा, लेकिन ऐसा करवा न सका। फिर उसे मज़दूरों के लकड़ी के हाथ लगवाने चाहे, लेकिन उनसे कार्य नहीं हुआ। अंत में मालिक ने लोहे के हाथ फिट करवा दिए जिससे मज़दूर मर गए।
चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की समझ में क्या बात आई ?
चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक के समझ में यह बात आई कि उसने अपने मिल में कार्य करने वाले सभी मज़दूरों की मज़दूरी आधी कर दी तथा दुगने मज़दूर नौकरी पर रख लिए।
साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को क्या बताया ?
साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को बताया कि मेरे साथ खेती करने से जंगल के छोटे-मोटे जानवर खेतों को नुकसान नहीं पहुँचा सकेंगे और खेतों की रखवाली भी अच्छी प्रकार से होगी।
हाथी ने खेत की रखवाली के लिए क्या घोषणा की ?
हाथी ने यह घोषणा की कि गन्ने की खेती में उसका साझा है, इसलिए कोई भी जानवर खेत को नुकसान न पहुँचाए अन्यथा अच्छा नहीं होगा।
आधी-आधी फसल हाथी ने किस तरह बाँटी ?
हाथी ने अपनी सूँड़ से एक गन्ना तोड़ लिया और उसे किसान के साथ मिलकर खाने के लिए कहा। गन्ने का एक छोर हाथी के मुँह में था और दूसरा किसान के मुँह में। जब गन्ने के साथ-साथ किसान हाथी के मुँह की ओर खिंचने लगा तो उसने गन्ना छोड़ दिया। इस प्रकार हाथी ने आधी-आधी फसल बाँट ली।